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अवदान

अवदान

लेखक:- रामशरण शर्मा
पुस्तक:- प्रारंभिक भारत का परिचय
प्रकाशक:- ओरियंट ब्लैकस्वान
प्रकाशन वर्ष:- 2004
प्रकाशन स्थल:- हैदराबाद
पृष्ठ संख्या:- 201

अवदान

महायान बौद्ध संप्रदाय की प्रगति के फल स्वरुप अनगिनत अवदानों की रचना हुई। कई अवदान बौद्धों की मिश्रित संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। अवदानो का अन्यतम उद्देश्य लोगों को महायान के उपदेशों से अवगत कराना है। इस कोटि की प्रमुख कृतियां है- महावस्तु और दिव्यावदान।

प्रस्तुत लेख में हम अवदान नामक शब्द के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। यह शब्द प्राचीन भारतीय इतिहास से संबंधित हैं, एवं बौद्ध धर्म की पुस्तकों को अवदान कहा गया है। इस लेख को हम प्राचीन भारतीय संस्कृति अथवा बौद्ध संस्कृति से जोड़कर देख सकते हैं।

नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।

सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।

ब्राह्मी लिपि

ब्राह्मी लिपि लेखक:- डी. एन. झा पुस्तक:- प्राचीन भारत: एक रूपरेखा प्रकाशक:- मनोहर पब्लिशर्स एंड डिसटीब्यूटर्स प्रकाशन वर्ष:- 1997 प्रकाशन स्...

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