दशहरा उत्सव
दशहरा उत्सव
लेखक:- सुरेश चंद्र बंसल
पुस्तक:- भारत में यात्रा एवं पर्यटन
प्रकाशक:- एच के प्रिंटर्स
प्रकाशन वर्ष:- 2006
प्रकाशन स्थल:- सहारनपुर
पृष्ठ संख्या:- 169
दशहरा उत्सव रावण पर राम की विजय के रूप में विजय दशमी को पूरे भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। राम के जीवन पर रामलीलाओं का आयोजन भी किया जाता है तथा रावण के साथ-साथ उसके सगे संबंधियों के पुतले जलाना इस उत्सव के प्रमुख आकर्षण होते हैं।
दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। यह असत्य पर सत्य की जीत के लिए मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन श्री राम रावण को हराकर अयोध्या लौटे थे। यह त्यौहार संपूर्ण भारत में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, और इस दिन भारत में सरकारी छुट्टी होती है। इस दिन अधिकांश हिंदू धर्म के लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, और अपने बच्चों को मेले में घुमाने के लिए ले जाते हैं। इस त्यौहार में लंकापति रावण एवं उसके परिवार जनों का पुतला बनाकर फूंका जाता है। ऐसी मान्यता है कि, रावण श्री राम की पत्नी सीता को धोखे से उठाकर अपनी सोने की लंका में ले गए थे। इससे राम अपनी पत्नी को ढूंढते ढूंढते लंका पहुंचे और रावण के भाई विभीषण की सहायता से रावण को मारने में कामयाबी पाई।
दशहरा भारतीय हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, और इसे मनाने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। यह एक धार्मिक कथा अर्थात माइथोलॉजी पर आधारित है। इस विषय में और जानकारी प्राप्त करने अथवा रिसर्च करने के लिए आप उपरोक्त पुस्तक को पढ़ सकते हैं।
नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।
सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।
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