यूपीएससी सिविल सर्विस के लिए महत्वपूर्ण पाठ्य पुस्तकें
यूपीएससी सिविल सर्विस के लिए महत्वपूर्ण पाठ्य पुस्तकें
क्या आपको पता है, कि आईएएस परीक्षा के अधिकतर टॉपर्स ने अपनी तैयारी किन पुस्तकों से की थी? आईएएस टॉपर्स तैयारी के लिए जो पुस्तके अनुशंशित करते हैं, हम उनकी सूची प्रस्तुत कर रहे हैं।यूपीएससी परीक्षा में सफलता के लिए अच्छी पुस्तकें पढ़ना बहुत जरुरी होता है। अगर आपको तैयारी का एकदम सही डायरेक्शन मिल जाए तो कोई भी आपको एक बार में यूपीएससी क्रैक करने से नहीं रोक सकता। सभी विद्यार्थियों के लिए इन किताबों के बारे में जानना आवश्यक है। ताकि आप इन किताबों के जरिये अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकें। यहां हम आपके लिए ऐसी बेस्ट किताबों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आइएएस टॉपर्स ने तैयारी की थी।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ( प्रारंभिक परीक्षा) हेतू महत्त्वपूर्ण पुस्तकें:-
- एम लक्ष्मीकांत (राजनीति) की लिखी इंडियन पॉलिटी फॉर सिविल सर्विसेज एग्जाम {English Version}
- नितिन सिंघानिया (कल्चर) की लिखी किताब इंडियन आर्ट एंड कल्चर {English Version}
- गोह चेंग लेओंग (भूगोल) की लिखी सर्टिफिकेट फिजिकल एंड ह्यूमन जियोग्राफी {English Version} (इसके अलावा क्लास 6-12 से NCERT की किताबें भी तैयारी में मददगार हैं।)
- ऑक्सफोर्ड पब्लिशर्स द्वारा ऑक्सफोर्ड स्कूल एटलस (भूगोल) {English Version}
- रमेश सिंह (अर्थव्यवस्था) की लिखी इंडियन इकोनॉमी {English Version}
- इकोनॉमिक सर्वे (इकोनॉमी) {English Version} (हिंदी)
- इंडिया इयर बुक {English Version}
- आधुनिक भारत (स्पेक्ट्रम) {English Version}
- करंट अफेयर्स यहां पढ़ें
- द हिन्दू
- इंडियन एक्सप्रेस
- क्रॉनिकल मैगजीन
- दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण
- PIB
- अन्य महत्वपूर्ण वेबसाइट / एप्लिकेशन
- विज्ञान और तकनीक के लिए नोट्स (शंकर आईएएस) {English Version}
- दैनिक समाचार पत्र
- इसरो की वेबसाइट
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी (एनवायर्नमेंट एंड इकोलॉजी) अखबारों के जरिये क्लाइमेट चेंज पर रिसेंट इवेंट पढ़ें। दृष्टि आईएएस की पुस्तक। {English Version}
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा ( मुख्य परीक्षा) हेतू महत्त्वपूर्ण पुस्तकें:-
- जीएस।
- द वंडर दैट वाज इंडिया (ए० एल ० बाशम) {English Version}
- इंडियन आर्ट एंड कल्चर (नितिन सिंहानिया) {English Version}
- वर्ल्ड हिस्ट्री (दीनानाथ वर्मा) {English Version}
- इंडियाज एंशिएंट पास्ट (आर० एस० शर्मा) {English Version}
- हिस्ट्री ऑफ माडर्न इंडिया (बिपिन चंद्रा) {English Version}
- इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपिंडेंस (बिपिन चंद्रा) {English Version}
- विश्व और समाज का भूगोल {English Version}
- भारत का भूगोल (माजिद हुसैन) {English Version}
- ऑक्सफोर्ड स्कूल एटलस ऑक्सफोर्ड (भूगोल) {English Version}
- सर्टिफिकेट शारीरिक और मानव भूगोल (गोह चेंग लेओंग) {English Version}
- जीएस II
- इंडियन कांस्टीट्यूशन एट वर्क (NCERT) {English Version}
- इंडियन पॉलिटी (लक्ष्मीकांत) {English Version}
- इंट्रोडक्शन टू द कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (डी.डी. बसु) {English Version}
- गवर्नेंस इन इंडिया (लक्ष्मीकांत) {English Version}
- इंडिया इयर बुक {English Version}
- कंटेपरेरी वर्ल्ड पॉलिटिक्स (NCERT) {English Version}
- जीएस III
- इकोनॉमिक्स सर्वे {English Version} (हिंदी)
- साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया टीएमएच {English Version}
- द एन्वार्यन्मेंट फॉर सिविल सर्विसेज प्रीलिम्स एंड मेन्स {English Version}
- इंडिया इयर बुक {English Version}
- डिजास्टर मैनेजमेंट पर एआरसी रिपोर्ट
- उमा कपिला की लिखी इंडियन इकोनॉमी {English Version}
- जीएस IV
- एथिक्स, इंटीग्रिटी एंड एप्टीट्यूड (लेक्सीकॉन) {English Version}
- आईएएस मेंस स्टडीज एथिक्स {English Version}
यूपीएससी परीक्षा पास करने के पश्चात सभी आईएएस ऑफिसर को लाल बहादुर शास्त्री अकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में प्रशिक्षण दिया जाता है।
नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।
सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।
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