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शिंतो धर्म

शिंतो धर्म

लेखक:- के. टी. एस. सराओ
पुस्तक:- आधुनिक जापान का इतिहास
प्रकाशक:- हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रकाशन वर्ष:- 2015
प्रकाशन स्थल:- दिल्ली
पृष्ठ संख्या:- 181

शिंतो धर्म

शिन्तो का अर्थ है, 'ईश्वर पथ'। यह जापानियों का स्थानीय प्राचीन धर्म है। प्रकृति पूजा का शिन्तो में एक प्रमुख स्थान है। यह प्रकृति पूजा इस विश्वास पर आधारित है, कि सभी वस्तुओं में जीवन है। इस धर्म में प्रकृति, पूर्वजों एवं सम्राट की पूजा पर अधिक जोर दिया जाता है।

शिंतो धर्म

वैसे तो जापान में बौद्ध धर्म का सर्वाधिक लोगो द्वारा अनुसरण किया जाता है। लेकिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों एवं नास्तिकों को छोड़कर अधिकतर जापानी शिन्तो धर्म में विश्वास रखते हैं। इस धर्म की विशेषता यह है कि, ये प्राकृतिक वस्तुओं को ईश्वर के अनुरूप मानता है। इससे यह फायदा होता है, कि प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति की सुरक्षा खुद करता है। यह धर्म भी बहुत धर्म की ही तरह नास्तिक है। इस धार्मिक दर्शन का अध्ययन करने के पश्चात हम यह जान सकते हैं, कि जापान के लोगों का इतना ईमानदार एवं अनुशासित होने के पीछे उनके धर्म का प्रभाव भी रहा होगा।

शिंतो धर्म

नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।

सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।

ब्राह्मी लिपि

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