Ads

जुलियस सीजर

जुलियस सीजर

लेखक:- डॉ. एस. एल. नागौरी
पुस्तक:- विश्व की प्राचीन सभ्यताएं
प्रकाशक:- श्री सरस्वती सदन
प्रकाशन वर्ष:- 2009
प्रकाशन स्थल:- नई दिल्ली
पृष्ठ संख्या:- 217

जुलियस सीजर

जुलियस सीजर एक महान सेनानायक, राजनीतिज्ञ, निबंधकार और कुशल इतिहास लेखक भी था। उसने दो ग्रंथ लिखे 'गाल के युद्ध' तथा 'गृह युद्ध'। सीजर ने फ्रांस में लड़ी हुई लड़ाईयों का वर्णन 'गाल के युद्ध' नामक पुस्तक में किया है। 'गृह युद्ध' नामक पुस्तक में सीजर ने तत्कालीन रोम के गृह युद्ध का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। जुलियस सीजर की रचनाएं यूरोपीय साहित्य की अनुपम देने मानी जाती है।

रोम का महान राजा जूलियस सीजर जो मिस्र की महारानी क्लियो पेट्रा से मोहब्बत कर बैठा था। सीजर एक महान योद्धा एवं इतिहासकार था। रोम की सभ्यता में जुलयस सीजर का नाम विशेष रूप से लिया जाता है, क्योंकि सीजर ने रोमन साम्राज्य को एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के तमाम क्षेत्रों तक पहुंचा दिया था। सीजर के बारे में जानकारी प्राप्त करने अथवा रिसर्च करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक को पढ़े।

जुलियस सीजर

रोम की सभ्यता दुनिया की तमाम सभ्यताओं में प्रमुख थी, एवं प्राचीन भी। आज भी रोम की सभ्यता के प्रमाण आधुनिक इटली की राजधानी रोम में देखे जा सकते हैं।

नोट:- अक्सर ऐसा देखा गया है, कि किसी भी सूचना के प्राथमिक एवं द्वितीय स्त्रोतों साथ कम या ज्यादा छेड़छाड़ होने की संभावना रही है। वैसे स्त्रोतों में उपलब्ध कराई गई जानकारी लेखक के स्वयं के विचार भी हो सकते हैं अथवा तत्कालीन समय की सच्चाई भी, यह पता लगाना भी शोधार्थी का कार्य है। यह प्रत्येक शोधार्थी का कर्तव्य है, कि वह किसी भी स्त्रोत का प्रयोग करने से पहले उसकी बाह्य एवं आंतरिक आलोचना की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही यह समझने का प्रयास करें, कि वह जिस स्त्रोत का प्रयोग अपने शोध हेतु कर रहा है क्या वह सत्य है।

सामान्यत: ऐसा देखा गया है, कि मूल स्त्रोतों के साथ छेड़छाड़ कर दी जाती है/थी (उदाहरण के तौर पर ऋग्वेद में दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया। ऐसा कुछ शोधार्थी एवं विद्वानों के द्वारा कहा जाता है)। ऐसा जानना इसलिए आवश्यक है, ताकि भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं का बहुमूल्य समय व्यर्थ होने से बचाया जा सके।

ब्राह्मी लिपि

ब्राह्मी लिपि लेखक:- डी. एन. झा पुस्तक:- प्राचीन भारत: एक रूपरेखा प्रकाशक:- मनोहर पब्लिशर्स एंड डिसटीब्यूटर्स प्रकाशन वर्ष:- 1997 प्रकाशन स्...

Powered by Blogger.